विषयवस्तु
मोहम्मद बिन तुगलक = नमस्कार दोस्तों आज हम सरकार की कोई योजना को लेकर नहीं आए है आज हम एक ऐसे शासक के बारे में लेकर आए है जो अपने समय के शासकों में सबसे ज्यादा विद्वान शासक था लेकिन फिर भी वो हर योजना में असफल होता गया तो चलिए जानते है कि वो कौन था और क्या किया जिससे असफल शासक बन के रह गया।

मोहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ई.) तुगलक वंश का दूसरा सुल्तान था और इतिहास में उसे एक विवादास्पद तथा विरोधाभासी शासक माना जाता है। उसके शासन में कुछ ऐसे निर्णय लिए गए जो बौद्धिक दृष्टि से अत्यंत उन्नत थे, लेकिन व्यवहार में असफल सिद्ध हुए। इसी कारण इतिहासकार उसे “एक प्रतिभाशाली मूर्ख” या “अवास्तविक स्वप्नदृष्टा” भी कहते हैं।
मोहम्मद बिन तुगलक की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी
- प्रतिभाशाली और शिक्षित शासक:
- उसे दर्शन, धर्म, गणित और विज्ञान में रुचि थी।
- कई भाषाओं का ज्ञाता था और धर्मों के प्रति सहिष्णु था।
- असफल नीतियाँ और प्रयोग:
- राजधानी परिवर्तन: राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (महाराष्ट्र) स्थानांतरित की, जिससे जनता को भारी कठिनाइयाँ हुईं और यह नीति विफल रही।
- तांबे के सिक्के चलाना: चाँदी की जगह तांबे के सिक्के चलाए, लेकिन नकली सिक्कों की बाढ़ आ गई और अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
- दक्षिण में विजय अभियान: दक्षिण भारत में सैन्य अभियान विफल रहा, जिससे खजाना खाली हो गया।
- कर नीति: दोआब क्षेत्र (गंगा-यमुना के बीच) में अत्यधिक कर लगाए गए, जिससे विद्रोह भड़का।
- प्रशासनिक कौशल:
- वह दूरदर्शी था, लेकिन जमीनी सच्चाई और जनता की स्थिति को नहीं समझ पाया।
- निर्णय लेने में जल्दबाज़ और क्रियान्वयन में असफल था।
ये तो हो गया कुछ जरूरी बातें जिन्हें हम आगे पढ़ेंगे तो चलिए अब एक एक करके देखते है कि उसकी नीतियां क्या थी।
राजधानी परिवर्तन नीति (दिल्ली से दौलताबाद)
मोहम्मद बिन तुगलक ने अपने शासनकाल में 1327 ई. में राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद (महाराष्ट्र) स्थानांतरित करने का आदेश दिया। यह निर्णय उसकी सबसे विवादास्पद और विफल नीतियों में से एक माना जाता है।
राजधानी बदलने का उद्देश्य:
- भौगोलिक स्थिति: दौलताबाद भारत के लगभग बीच में था, जिससे उसे उत्तर और दक्षिण भारत दोनों पर नियंत्रण करना आसान लगता था।
- मंगलोर तक शासन: तुगलक दक्षिण भारत पर भी नियंत्रण चाहता था, इसलिए राजधानी को दक्षिण के करीब करना चाहता था।
- दिल्ली की समस्याएँ: दिल्ली में विद्रोह, जल संकट और हमलों की संभावना से वह चिंतित था।
नीति का कार्यान्वयन:
- सुल्तान ने केवल दरबार या प्रशासन को नहीं, बल्कि दिल्ली की आम जनता को भी जबरन दौलताबाद जाने पर मजबूर किया।
- हजारों लोग इस यात्रा में मारे गए क्योंकि यह 1500 किलोमीटर लंबा कठिन मार्ग था और पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
परिणाम:
- जनता में असंतोष फैल गया।
- जन और प्रशासनिक हानि हुई।
- अंततः 2-3 साल बाद उसे राजधानी फिर से दिल्ली लौटानी पड़ी।
2. टोकन मुद्रा की योजना (1329 ई.)
योजना क्या थी?
मोहम्मद बिन तुगलक ने तांबे के सिक्कों को चाँदी के सिक्कों के बराबर मूल्य देने की योजना लागू की। यह एक तरह की कागज़ी मुद्रा जैसी थी, जिसमें वास्तविक धातु का मूल्य नहीं था, लेकिन राज्य की मुहर होने के कारण उसे मान्यता दी गई।
योजना का उद्देश्य:
- राजकोष की कमी पूरी करना – दक्षिण के युद्धों और महंगे प्रयोगों से खजाना खाली हो गया था।
- विदेशों की नकल – चीन के मंगोल शासक कुबलाई खान की टोकन मुद्रा नीति से प्रभावित होकर उसने यह निर्णय लिया।
इस योजना में क्या गलती हुई?
- सिक्के किसी भी आम आदमी को ढालने की छूट थी।
- इससे नकली सिक्कों की बाढ़ आ गई क्योंकि लोग घर-घर में तांबे के सिक्के ढालने लगे।
- सरकार नकली और असली में फर्क नहीं कर सकी।
- अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई, व्यापार ठप हो गया, और जनता का सरकार पर से विश्वास उठ गया।
अंततः क्या हुआ?
- तुगलक को योजना वापस लेनी पड़ी।
- उसने सभी टोकन सिक्कों को वापस मंगवाया और बदले में असली चाँदी के सिक्के देने पड़े।
- इससे राजकोष पर और भी अधिक बोझ पड़ा।
3. दोआब में कर वृद्धि नीति (1326-27 ई.)
दोआब क्षेत्र वह उपजाऊ भूमि है जो गंगा और यमुना नदियों के बीच फैली हुई है। यह कृषि उत्पादन के लिहाज़ से बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था।
नीति क्या थी?
मोहम्मद बिन तुगलक ने सोचा कि यह उपजाऊ क्षेत्र सरकार को ज़्यादा राजस्व दे सकता है। इसलिए उसने:
- इस क्षेत्र पर अत्यधिक कर बढ़ा दिए।
- कर वसूली बहुत सख्ती से की गई।
- किसानों को अकाल और सूखे के बावजूद राहत नहीं दी गई।
इसका परिणाम क्या हुआ?
- अकाल पड़ा — और कर वसूली जारी रही, जिससे किसान भुखमरी का शिकार हुए।
- कई किसान बगावत पर उतर आए, कुछ ने खेती छोड़ दी, तो कुछ डाकू बन गए।
- राज्य को राजस्व तो नहीं मिला, उल्टा उसे विद्रोह दबाने के लिए सेना भेजनी पड़ी, जिससे नुकसान और बढ़ गया।
- कृषि उत्पादन भी गिर गया।
4. दक्षिण भारत में सैन्य अभियान
मोहम्मद बिन तुगलक का सपना था कि पूरे भारत पर उसका पूर्ण नियंत्रण हो। इसके लिए उसने दक्षिण भारत (दक्कन) के खिलाफ कई सैन्य अभियान शुरू किए।
मुख्य उद्देश्य:
- दक्कन के शक्तिशाली राज्यों को अधीन करना (जैसे वारंगल, मदुरा, और होयसलों का राज्य)।
- अपने साम्राज्य को विशाल बनाना।
- दक्षिण की संपत्ति से राजकोष भरना।
अभियानों की शुरुआत:
- उसने बड़े पैमाने पर सेना इकट्ठी की और उसे दक्षिण की ओर भेजा।
- शुरुआत में कुछ सफलताएँ मिलीं, जैसे वारंगल पर कब्जा।
- लेकिन बाद में स्थानीय विद्रोह, दूरी की समस्याएँ और प्रशासनिक असफलता के कारण स्थिति बिगड़ गई।
असफलता के कारण:
- सेना बहुत बड़ी थी, जिससे खर्च बढ़ा और उसे वेतन देना कठिन हो गया।
- स्थानीय क्षेत्रों में तुगलक का शासन अस्थायी साबित हुआ — कई जगह पर विद्रोह हो गए।
- उसने दक्कन में एक नया प्रांत बनाया, लेकिन जल्द ही वहां के गवर्नर ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी (यही आगे चलकर बहमनी साम्राज्य बना)।
5. खुरासान और इराक विजय की योजना
खुरासान (आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान का कुछ भाग) और इराक उस समय इस्लामी दुनिया के प्रमुख और समृद्ध क्षेत्र थे। मोहम्मद बिन तुगलक ने सोचा कि यदि वह इन पर विजय पा ले तो उसकी सत्ता और प्रतिष्ठा एशिया में बहुत बढ़ जाएगी।
योजना क्या थी?
- तुगलक ने एक बहुत बड़ी सेना तैयार की — लगभग 3 लाख सैनिक।
- सैनिकों को भारी वेतन और प्रशिक्षण दिया गया।
- उसका उद्देश्य था कि जब खुरासान में राजनैतिक अस्थिरता हो, तब वहाँ हमला किया जाए।
इस योजना की विफलता के कारण:
- खुरासान में सत्ता स्थिर हो गई — यानी आंतरिक संकट समाप्त हो गया और हमला करना असंभव हो गया।
- मोहम्मद बिन तुगलक ने जो विशाल सेना तैयार की थी, उसे युद्ध में भेजने का अवसर ही नहीं मिला।
- वेतन देते-देते राजकोष खाली हो गया।
- बाद में, सैनिकों को भंग कर दिया गया, जिससे कई सैनिक लुटेरे बन गए और खुद भारत में ही अराजकता फैलाने लगे।
निष्कर्ष:
मोहम्मद बिन तुगलक एक अत्यधिक बुद्धिमान, लेकिन व्यवहारिकता से दूर शासक था। उसकी नीतियाँ सिद्धांत रूप में अच्छी थीं, लेकिन उन्हें लागू करने का तरीका गलत था, इसलिए वह इतिहास में एक “असफल प्रतिभा” के रूप में जाना जाता है।
यहांं तक पढने के लिए आपका शुक्रिया, हम पुरी तरह से कोशिश करते है की प्रत्येक लेख मे कोई गलती न हो उसके बाद भी कोई गलती होती हैं तो हम आपसे उस गलती के लिए माफी मांगते है। कृप्या आप इस प्रकरण में हमे अवगत करें जिससे हम उसे जल्द से जल्द सुधार कर सकें। तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखें और अपने आस-पास ऐसे माहौल बनायें की महिलायें अपने आपको सुरक्षित महशुस करें,धन्यवाद।
kumar gaurav sir ki current affairs ki class notes ke liye click here
इन्हे भी पढे-