विषयवस्तु
S-400 क्या है?
S-400 क्या है– S-400 यानी ट्रायम्फ (सुदर्शन चक्र) वायु रक्षा प्रणाली है।यह रूस का अत्याधुनिक लंबी-दूरी सतह-से-वायु मिसाइल सिस्टम है। तो चलिए जानते है कि S-400 क्या है और किस तरह से यह काम करता है और क्या क्या खूबी है S-400 क्या है।
तकनीकी विशेषताएँ: ट्रायम्फ रूस का अत्याधुनिक लंबी-दूरी सतह-से-वायु मिसाइल सिस्टम है। इसमें बहु-फ़ंक्शन राडार (92N2E और 96L6) लगे हैं जो 360° कवरेज में लगभग 400 किमी तक लक्ष्य पहचान सकते हैं। यह एक बार में 300 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और उनमें से 36 को एकसाथ इंटरसेप्ट करने की क्षमता रखता है। सिस्टम में चार प्रकार की मिसाइलें हैं।

- 9M96E / 9M96E2: क्रमशः 40 किमी और 120 किमी रेंज की छोटी मिसाइलें (इनकी गति Mach 14-15 तक होती है)।
- 48N6/48N6E2: लगभग 250 किमी तक का मध्यम रेंज मिसाइल।
- 40N6: अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज मिसाइल, 350–400 किमी तक दायरा रखती है।
इन मिसाइलों की मारक ऊँचाई ~30–35 किमी तक है। लॉन्चर मोबाइल ट्रकों (जैसे 8×8 BAZ-6402, MAZ-543) पर आधारित होते हैं; एक बैटरी में 8 लॉन्चर (प्रत्येक में 4 मिसाइल) और एक कमांड पोस्ट होती है। पूरे सिस्टम को लगभग 5–10 मिनट में किसी भी दिशा में तैनात किया जा सकता है।
S-400 क्या है देखे नीचे।।
मिसाइल प्रकार | मारक रेंज | अधिकतम ऊँचाई | ध्वनि वेग (लगभग) |
---|---|---|---|
9M96E/9M96E2 | 40 / 120 किमी | ~20–30 किमी | Mach 14–15 |
48N6/48N6E2 | 250 किमी | ~27 किमी | Mach 8–10 (अनुमानित) |
40N6 | 350–400 किमी | ~30 किमी | Mach 14 |
भारत में S-400 के क्या है उपयोग?
S-400 क्या है भारत में उपयोग: भारत ने 2018 में रूस से पाँच S-400 स्क्वाड्रन खरीदने का सौदा किया (लगभग ₹35–40 हज़ार करोड़, ~$5.4 अरब)। इस सौदे के तहत अब तक तीन स्क्वाड्रन प्राप्त हो चुके हैं और शेष दो 2026 तक मिलेंगे। भारतीय सेवा में इस प्रणाली को “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है। इन प्रणालियों को estratégic स्थानों पर तैनात किया गया है, जैसे पठानकोट (पंजाब), राजस्थान और गुजरात मे। S-400 भारत की वायु रक्षा की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, क्योंकि यह दुश्मन की सीमा के भीतर 300+ किमी तक के खतरों का मुकाबला कर सकता है।
- खरीद और डिलीवरी: अक्टूबर 2018 में पांच स्क्वाड्रन के लिए $5.4 अरब की डील हुई। पहला यूनिट पंजाब में तैनात हुआ, तीन स्क्वाड्रन सक्रिय हैं, दो शेष हैं।
- तैनाती: स्क्वाड्रन मुख्यतः उत्तरी-पश्चिमी सीमाओं के करीब लगाये गए – पठानकोट (पंजाब), राजस्थान व गुजरात क्षेत्रों में।
- रणनीतिक महत्व: S-400 की उच्च क्षमता भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपटने में मदद करती है। यह देश की वायु रक्षा नेटवर्क की रीढ़ है, जिससे दुश्मन की स्ट्राइक की रोकथाम बलवती होती है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य: वर्तमान में S-400 का उपयोग/तैनाती निम्न देशों में हुआ है:
- चीन: पहला विदेशी खरीदार, 2014 में सौदा किया और कई यूनिट तैनात किए गए हैं। चीन ने इसे ताइवान समेत विभिन्न दिशा में अपने रक्षा नेटवर्क में शामिल किया है।
- भारत: उपरोक्त 2018 की डील के तहत पांच स्क्वाड्रन।
- तुर्की: पहला NATO देश जिसने 2017 में S-400 खरीद लिया (चार डिवीजन के लिए $2 अरब से अधिक का सौदा)।
- रूस: निर्माता और स्वदेशी तैनातीकर्ता।
- अन्य: सऊदी अरब ने S-400 में रुचि जताई और डील की स्थिति में है। बेलारूस तथा कज़ाखस्तान के लिए भी निर्यात संभावित बताया गया था, लेकिन अभी तक आधिकारिक आपूर्ति नहीं हुई। अफगानिस्तान, ईरान, कतर, अल्जीरिया, वियतनाम, इराक आदि कई देशों ने भी इसकी खरीद में दिलचस्पी दिखाई है।
S-400 क्या है )( कि अन्य प्रणालियों से तुलना: नीचे तालिका में S-400 की तुलना अमेरिकी THAAD, Patriot और रूसी S-500 से की गई है:
प्रणाली | अधिकतम श्रेणी | मिसाइल प्रकार | मुख्य भूमिका एवं विशेषताएँ |
---|---|---|---|
S-400 Triumf | ~400 किमी | 40N6E, 48N6(E) और 9M96(E) श्रृंखला | बहु-स्तरीय रक्षा: वायुयान, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल रोकने में सक्षम। 300 लक्ष्य ट्रैक/36 शॉट क्षमता। |
Patriot PAC-3 | ~160–180 किमी | PAC-3 इंटरसेप्टर | विमानों और इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों से रक्षा। S-400 की तुलना में कम रेंज (≈200 किमी तक)। |
THAAD | 150–200 किमी | THAAD इंटरसेप्टर | उच्चतम पठार पर बैलिस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने हेतु (एकमात्र मिसाइल प्रकार, एकल-उद्देशीय प्रणाली)। लड़ाकू विमानों को इंटरसेप्ट नहीं करता। |
S-500 Prometheus | ~600 किमी | अगली पीढ़ी के लंबी दूरी रॉकेट | हाइपरसोनिक मिसाइलों, ICBM और उपग्रहों को रोकने की क्षमता। S-400 से अधिक लंबी-रेंज और नए लक्ष्य (अति-गति वस्तु) इंटरसेप्शन की क्षमता। |
ताकत और कमजोरियाँ: S-400 क्या है ताकत- इसकी बहु-स्तरीय मिसाइल क्षमताओं में है – यह एक साथ कई प्रकार के हवाई खतरों को 400 किमी तक मार सकता है। इसकी चलायमानता (8×8 ट्रक लॉन्चर) और तेज तैनाती (5–10 मिनट) भी मजबूती है। इसकी कमजोरियाँ हैं कि THAAD की तरह यह अत्यधिक ऊँचाई (एग्जोस्फीयर) पर इंटरसेप्शन नहीं कर सकता, और पैट्रियट की तुलना में इसका नेटवक इंटीग्रेशन NATO मानकों में सीमित है। S-500 की तुलना में S-400 की कवरेज कम है (S-500 ~600 किमी) तथा S-500 हाइपरसोनिक और सैटेलाइट लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावी है।
2025 में हाल की घटनाएँ: मई 2025 में बढ़े भारत–पाक तनाव के दौरान (ऑपरेशन सिंदूर) भारतीय सशस्त्र बलों ने S-400 का इस्तेमाल पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 7–8 मई की रात पाकिस्तान ने उत्तरी व पश्चिमी भारत में विभिन्न सैन्य ठिकानों पर ड्रोन/रॉकेट हमले किए, जिन्हें S-400 नेटवर्क समेत सभी वायु रक्षा तंत्रों ने सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी बताया कि “सुदर्शन चक्र” ने सभी आने वाले खतरों (ड्रोन/क्रूज मिसाइल) को प्रभावी ढंग से टारगेट किया। इन घटनाओं में S-400 ने भारत के कई प्रमुख शहरों और एयरबेसों के ऊपर रक्षा कवच मुहैया कराया।
अगर अपने अभी तक ऑपरेशन सिंदूर के बारे में नहीं पढ़ा है तो आप अभी पढ़ सकते हैं।
यहांं तक पढने के लिए आपका शुक्रिया, हम पुरी तरह से कोशिश करते है की प्रत्येक लेख मे कोई गलती न हो उसके बाद भी कोई गलती होती हैं तो हम आपसे उस गलती के लिए माफी मांगते है। कृप्या आप इस प्रकरण में हमे अवगत करें जिससे हम उसे जल्द से जल्द सुधार कर सकें। तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखें और अपने आस-पास ऐसे माहौल बनायें की महिलायें अपने आपको सुरक्षित महशुस करें,धन्यवाद।
kumar gaurav sir ki current affairs ki class notes ke liye click here
इन्हे भी पढे-