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Untold story – यहाँ महात्मा गांधी जी से जुड़े इतिहास के कुछ रोचक और कम जाने-पहचाने तथ्य दिए गए हैं, जो आपको दिलचस्प लग सकते हैं तो देर किस बात की चलिए शुरू करते है बिल्कुल शुरुवात से।
1. गांधीजी को “महात्मा” सबसे पहले किसने कहा?
गांधीजी को “महात्मा” कहने वाले पहले व्यक्ति रवींद्रनाथ टैगोर थे।
Untold story fact:
महात्मा गांधी को “महात्मा” कहने वाले पहले व्यक्ति थे – रवींद्रनाथ टैगोर।
यह बात 1915 की है, जब गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। उन्होंने वहाँ सत्याग्रह के ज़रिए भारतीयों के अधिकारों की रक्षा की थी। भारत लौटने पर उनका भव्य स्वागत हुआ।
रवींद्रनाथ टैगोर, जो खुद नोबेल पुरस्कार विजेता और महान कवि थे, उन्होंने गांधीजी के इस सेवा-भाव, सत्य और अहिंसा के प्रति समर्पण को देखकर उन्हें “महात्मा” (महान आत्मा) की उपाधि दी।
क्या आप जानते हैं ये रोचक तथ्य
- गांधीजी ने कभी खुद को “महात्मा” कहलवाना पसंद नहीं किया। वे खुद को “देश का सेवक” ही मानते थे।
- उनके करीबी साथी जैसे कि विनोबा भावे और कस्तूरबा गांधी उन्हें हमेशा “बापू” कहकर बुलाते थे।
2. नोबेल शांति पुरस्कार से वंचित
गांधीजी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया, लेकिन उन्हें कभी नहीं मिला – जबकि आज भी वे “अहिंसा” के सबसे बड़े प्रतीक माने जाते हैं।
Untold story:
महात्मा गांधी को पाँच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था –
फिर भी उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला।
नामांकन वर्ष:
- 1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 (मरणोपरांत)
1948 में तो नोबेल कमेटी ने उन्हें देने का गंभीर विचार भी किया, लेकिन उसी साल उनकी हत्या हो गई।
कमेटी ने तब कहा – “इस वर्ष कोई जीवित उम्मीदवार उस स्तर का नहीं है।”
(और उस वर्ष किसी को भी पुरस्कार नहीं दिया गया।)
क्या वजह थी उन्हें न मिलने की?
- राजनीतिक परिस्थितियाँ:
ब्रिटिश राज और पश्चिमी देशों की राजनीति उस समय गांधीजी के विचारों को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पा रही थी। - गांधीजी की विचारधारा:
वे न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि अफ्रीका, एशिया और दुनिया भर में सामाजिक बदलाव की बात करते थे – नोबेल कमेटी उस समय इसे “राजनीतिक” मानती थी। - गांधीजी की सादगी:
वे किसी संस्था, पद या सम्मान को ज़रूरी नहीं मानते थे। शायद यही उनकी महानता थी, लेकिन नोबेल जैसी संस्था उस साधना को न समझ सकी।
एक ऐतिहासिक पछतावा:
बाद में नोबेल फाउंडेशन ने खुद यह स्वीकार किया कि महात्मा गांधी को नोबेल न देना उनकी सबसे बड़ी चूक थी।
3. इंग्लैंड में पढ़ाई और स्टाइल
जब गांधीजी इंग्लैंड पढ़ाई करने गए (1888), तो उन्होंने खुद को “जेंटलमैन” दिखाने के लिए हैट, कोट, टाई और यहां तक कि बॉलर हेट भी पहनी थी। एक समय वो फैशनेबल बनने की कोशिश करते थे!
4. दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से फेंके गए थे
1893 में दक्षिण अफ्रीका में एक गोरे अफसर ने गांधीजी को पहले दर्जे की टिकट होने के बावजूद ट्रेन से बाहर फेंक दिया था – यह घटना उनके जीवन की बड़ी क्रांति की शुरुआत बनी।
5. गांधीजी को हिंदी नहीं, गुजराती और अंग्रेज़ी ज़्यादा आती थी
गांधीजी की मातृभाषा गुजराती थी। उन्हें हिंदी बोलने में शुरुआत में झिझक होती थी, लेकिन उन्होंने इसे सीखा और इस्तेमाल में लाया।
6. गांधीजी का ऑटोग्राफ बिकता था पैसे में!
गांधीजी अपने आंदोलनों के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए अपना ऑटोग्राफ ₹5 में बेचते थे।
7.Untold story ‘हे राम’ पर बहस
गांधीजी के अंतिम शब्द “हे राम” कहे गए या नहीं – इस पर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ कहते हैं कि उन्होंने कहा, कुछ मानते हैं कि वे तुरंत बेहोश हो गए थे।
यहांं तक पढने के लिए आपका शुक्रिया, हम पुरी तरह से कोशिश करते है की प्रत्येक लेख मे कोई गलती न हो उसके बाद भी कोई गलती होती हैं तो हम आपसे उस गलती के लिए माफी मांगते है। कृप्या आप इस प्रकरण में हमे अवगत करें जिससे हम उसे जल्द से जल्द सुधार कर सकें। तब तक के लिए आप अपना ख्याल रखें और अपने आस-पास ऐसे माहौल बनायें की महिलायें अपने आपको सुरक्षित महशुस करें,धन्यवाद।
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